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Kavita Kosh से
साल, दिन महीने गए मौसमों के साथ
पर, पतझड़ों में आज भी जीती है ये 'कविता'
पानी का पानी दूध का है दूध, ये 'कविता'
जो कर दो माफ़ तुम तो दे दे माफ़ी वो खुदा