भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
{{KKShayar}}
* [[बन्द दरवाज़े खुले रूह में दाख़िल हुआ मैं / इरशाद खान सिकंदर]]
* [[ख़ामोशी की बर्फ़ पिघल भी सकती है / इरशाद खान सिकंदर]]
* [[सर पे बादल की तरह घिर मेरे / इरशाद खान सिकंदर]]
* [[करम है, दायरा दिल का बढ़ा तो / इरशाद खान सिकंदर]]