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Kavita Kosh से
|रचनाकार=रति सक्सेना
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तुमने घड़ी उठाई,
वक्त तुममें भरने लगा
सुइयों से नापता हुआ
पेन में भर लिया तुमने
सारा कि सारा आत्मविश्वास
कुछ लिया इधर से
कुछ उधर से
हड़बड़ाते हुए चल दिए
फिर एक सफर पर
तुम्हारी घड़ी की सुई ने टोका
कुछ भूल तो नहीं गए
नहीं, तुमने सिर हिलाया
चल दिए,
ध्यान रखना
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