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भाषा / विवेक निराला

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मेरी पीठ पर टिकी
 
एक नन्हीं-सी लड़की
 
मेरी गर्दन में
 
अपने हाथ डाले हुए
 
जितना सीख कर आती है,
 
उतना ही मुझे सिखाती है ।
 
उतने में ही अपना
 
सब कुछ कह जाती है ।
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