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कोई साथ नहीं देता है / मानोशी

72 bytes added, 03:19, 29 सितम्बर 2013
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=मानोशी|अनुवादक=|संग्रह=}}{{KKCatGeet}}<poem>कोई साथ नहीं देता है। 
जग झूठा है, तुम सच्चे हो,
बिना डरे दिल की कहते हो,
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