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बणजा बेटा मोरयो / कुमार गणेश

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|संग्रह=
}}
{{KKCatMoolRajasthani‎KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita‎}}<poem>प्रीत पगल्या टूट्या-फूट्या,घाल गले में डोरयो
रोवनो है तो बिरखा में रो,बणजा बेटा मोरयो
पाछो इब तूं कांई आसी,कांई था री उम्मीदां राखां
बाथां भर ले आज 'कुमार',देख कोई है रो रयो </poem>
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