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|संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा
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मुळकै हो कन्डैक्टर बस रौ
भलो आदमी हो बापड़ौ
मुळकै हो बस मांय काटतौ टिकट !
भीड़ घंणी करै ही अपच
पण बो ई सज-धज
मुळकै हो गिणतौ पीसा !करतो जी सा ! जी सा !!
म्हानै बडौ दाय आयौ
बीं रौ जी .....सा !
बीं नै दैख‘र म्हूं सोच्यौ -
मुळक्यौ भी जाय सकै
भीड़ मांय !
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