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छुट !/ कन्हैया लाल सेठिया

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|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया
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<Poem>
 
म्हारी बाखल में है
 
लाल धोला पीला कनेर
 
एक सी माटी'र गगण
 
पानड़ा'र डालां में
 
कठे स्यूं आया
 
ए अलघा अलघा रंग ?
 
आरीं चेतनां ने
 
कुण दीन्ही आ छुट ?
 
जाको ए करयो सत ने
 
आप री दीठ सारुं अनभूत !
 
</Poem>
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