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मां /मीठेश निर्मोही

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<poem>म्हनै बुलाय
सूंपणी चावती ही
थूं ।थूं।
थनै अर
हरी नीं व्हे जावै
मां री
कूंख ।कूंख।
दागल ई व्हे जावै
जद
थूं आपरौ आपौ
पांतरगी
मां !
तद इज तौ म्हैं
औरूं नीं दागीजै
कोई
कूंख ।कूंख।
</poem>
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