भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=आ बैठ बात करां / रामस्वरूप किसान
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
सावण लागग्यौ
झांझळी चालै
मिलगत रा/इब कठै बड़ै
बैरण छांट कोनी पड़ै।
</Poem>