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|रचनाकार=सत्यप्रकाश जोशी
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<Poempoem>
आई सासरा री पाळ
झीणौ घूंघटौ निकाळ
नणदां करसी मसखरी, जद सुसरो देसी गाळ
सासरा री पाळ।
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