भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त गुप्ता ‘पंकज’ |संग्रह= }} [[Cat...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हेमन्त गुप्ता ‘पंकज’
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}<poem>म्हीं सदा ईं
डर लागै छै
या जाण’र
कै म्हारा मन में
पनपी उम्मीदां
पूरी होवैगी
या न्हं हो पावैगी
जीवण का संग्राम में
कद कुण-सो घमासाण हो जावैगो
ऊ में म्हारी
जीत को लहरावैगो
या
म्हारी सारी उम्मीदां
हो जावैगी
स्वाहा
हर्या-भर्या रूंखड़ां की
ठंडी-ठंडी बाळ में
मिलेगी म्हारै तांई
किसी अमराई की
ठंडी छांव
जिनगाणी का सुनहरा सुपना
पूजेगा म्हारा पांव
या
सूखी धरती पर
हो जावैगो
म्हारो
तप्यो हुओ सो तन-मन
...अर
खाक हो जाऊंगो म्हूं</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits