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हीरा / उपेंद्र अणु

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}}
{{KKCatMoolRajasthaniKKCatRajasthanRachna}}{{KKCatKavita‎}}<poem>मी सागर नै होम ना सोपाड़ मयं
वकेरायला हैं ।
कारा-कारा / गोर गट्ट लीड़ीया पाणा
जूजवा नी हिम्मत
नानं भूलकूं नी
मुलकाव वजू ।</poem>
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