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बदळग्यो बगत / गौरीशंकर प्रजापत

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|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatKavita‎}}{{KKCatRajasthaniRachna}}<poem>आज बदळग्यो बगत
सगळा रै मोड़ो होवै
बगत कोनी किणी पाखती
कदैई कोई जागा
पासा फोर करियां सूं
कमती-बेसी कोनी होवै...</poem>
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