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<poem> झूले नवल राधे श्याम।
कोकिला कल कंठ गावत बैठी विटप लतान।
मोर वन वन शोर करि करि मुदित आठो याम।
सुरंग डोर हिंडोर सुन्दर रत्न जड़ित ललाम।
ललित पलना मणि सुरंजित छिपत है शशि भान।
जमुना तीर गडे़ हिंडोलो दे रही वृज वाम।
कजरी राग मल्हार गावती ले ले सुन्दर तान।
आजु की छवि कौन बरने मोहे कठिन काम।
द्विज महेन्द्र स्वरूप निरखत बिकतु है बिनु दाम।
</poem>
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