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विस्मृति / सुभाष काक

20 bytes added, 06:09, 14 नवम्बर 2013
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क्यों कि विस्मृरत हैं हमक्‍योंकि विस्‍मृत हैं हम,नया जन्मि नहींनया जन्‍म नहींहो सकता हमारा।हो सकता हमारा।बंधे हैं हमबंधे हैं हमअतीत मेंअतीत में,अन्धे समान।अन्‍धे समान।
चिह्न प्राप्तिीचिह्‍नप्राप्‍तिजीवन का लक्ष्यरजीवन का लक्ष्‍यएकमात्र एकमात्र --भक्ति्भक्‍ति,
याचना,
योग।
मायावी होगा
इसका शोषण है
स्मृवतिधारास्‍मृतिधारा
ऊर्जा है
स्वरों की झंकार।