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Kavita Kosh से
बौनेपन में उतरने ही
जीवन ने इस कदर समाधी समाधि धारण कर ली
कि नई ज़मीन की कच्ची-पक्की, जली-भुनी सभी मन्त्र-सिद्ध तरकीबें उसे रट गईं
और