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{{KKRachna
|रचनाकार=जेन्नी शबनम
|संग्रह=
}}
{{KKCatHaiku}}
<poem>1.
कठिन बड़ा
पर होता है जीना
पूर्ण जीवन !
2.
कुछ ख्वाहिशें
फलीभूत न होती
सदियाँ बीती !
3.
मन तड़पा
भरमाये है जिया
मैं निरुपाय !
4.
पाँव है ज़ख़्मी
राह में फैले काँटे
मैं जाऊँ कहाँ !
5.
प्रेम-बगिया
ये उजड़नी ही थी
सींच न पायी !
6.
दंभ जो टूटा
फिर उल्लास कैसा
विक्षिप्त मन !
7.
मन चहका
घर आए सजन
बावरा मन !
8.
महा-प्रलय
ढह गया अस्तित्व
लीला जीवन !
9.
विनाश होता
चहुँ ओर आतंक
प्रकृति रोती !
10.
लौटता कहाँ
मेरा प्रवासी मन
न कोई घर !
11.
अज़ब भ्रम
कैसे समझे कोई
कौन अपना !
(24. 3. 2011)</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=जेन्नी शबनम
|संग्रह=
}}
{{KKCatHaiku}}
<poem>1.
कठिन बड़ा
पर होता है जीना
पूर्ण जीवन !
2.
कुछ ख्वाहिशें
फलीभूत न होती
सदियाँ बीती !
3.
मन तड़पा
भरमाये है जिया
मैं निरुपाय !
4.
पाँव है ज़ख़्मी
राह में फैले काँटे
मैं जाऊँ कहाँ !
5.
प्रेम-बगिया
ये उजड़नी ही थी
सींच न पायी !
6.
दंभ जो टूटा
फिर उल्लास कैसा
विक्षिप्त मन !
7.
मन चहका
घर आए सजन
बावरा मन !
8.
महा-प्रलय
ढह गया अस्तित्व
लीला जीवन !
9.
विनाश होता
चहुँ ओर आतंक
प्रकृति रोती !
10.
लौटता कहाँ
मेरा प्रवासी मन
न कोई घर !
11.
अज़ब भ्रम
कैसे समझे कोई
कौन अपना !
(24. 3. 2011)</poem>