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Kavita Kosh से
बांस के झुरमुट में चुपचाप <br>
जहां सोये नदियों के कूल<br><br>
हरे जंगल के के बीचो बीच<br>
न कोई आया गया जहां<br>
चलो हम दोनों चलें वहां<br><br>
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