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रे दिल गाफिल / कबीर

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या जीवन में क्या क्या कीता
सिर पाहन का बोझा लीता
आगे कौन छुडावेगा॥ छुड़ावेगा॥ २॥
परलि पार तेरा मीता खडिया
अन्त समय तेरा कौन सहाई
चला अकेला संग न को
कीया किया अपना पावेगा॥ ४॥
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