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<Poem>प्रेम-
आंख की कोर पे
धर्यो एक सुपनो
ज्ये रोज आंसू की गंगा में
करै छै अस्नान
अर निखर जावै छै
दूणो।</Poem>
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<Poem>प्रेम-
आंख की कोर पे
धर्यो एक सुपनो
ज्ये रोज आंसू की गंगा में
करै छै अस्नान
अर निखर जावै छै
दूणो।</Poem>