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|रचनाकार=संतोष मायामोहन
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
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<poem>बिरछ
सूंपै पात
नव पल्लव पांगरै।
म्हूं
सूंपूं
देह,
पाऊं
नव देह-धर।</poem>
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सूंपै पात
नव पल्लव पांगरै।
म्हूं
सूंपूं
देह,
पाऊं
नव देह-धर।</poem>