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<poem>
सखी हम जीबन कोना कटबई
अयलाह से काल्हिये जेताह
नै साहब कान्हि सँ टिकुली
नै पहिरब चुड़ी ने बिजली
भमर सन केस अछि हमरो
सेहो बिनु तेल के रखबई
सखी हम जीबन कोना कटबई
अयलाह से काल्हिये जेताह
जहन चल अंग मे भुषण
तहन भ हम लेपबई
चमेली तेल के बदला
रुक्ख भ हम लेपबई
जखन अंगुली के आठो पर
गनै छलियई पीया अपोता
तहन माला के गोरी पर
पीया के नाम हम रटबई
जहन दिन-राति पलंगिया पर
पीया संग केलि हम केलयै
तहन बीरहा के बेदन में
पीया के नाम हम रटबई
सखी हम जीबन कोना कटबई
अयलाहे हो काल्हिये जेताह…..
</poem>
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