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ग़ालिब
,/* ग़ालिब की कुछ रचनाएँ */
* [[रहा गर कोई ता क़यामत सलामत / ग़ालिब]]
* [[लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जम्बानी / ग़ालिब]]
* [[लूं दाम बख़तए ख़ुफ़तह लूँ वाम बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता से यक ख़वाबए ख़वुश -ख़्वाब-ए-खुश वले / ग़ालिब]]
* [[लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं / ग़ालिब]]
* [[वां उस को हौल-ए-दिल है तो यां मैं हूं शरम-सार / ग़ालिब]]