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उड़ी तमिस्र रात है, जगा नया प्रभात है,
चली नयी जमात नई ज़मात है, मानो कोई बरात है,
समय है मुस्कराए जा
बहार की बहार में,
बहार ही लुटाए जा।जा ।कदम कदम क़दम क़दम बढाए जाखुशी ख़ुशी के गीत गाए जा,ये ज़िन्दगी है क़ौम कीतू क़ौम पर लुटाए जा ।
जहाँ तलक न लक्ष्य पूर्ण हो समर करेगे हम,
खड़ा हो शत्रु सामने तो शीश पै चढेंगे चढ़ेंगे हम,
विजय हमारे हाथ है
लड़े है लड़ रहे है तो जहान से लड़ेगे हम,
बड़ी लड़ाईया है लड़ाइयाँ हैं तोबड़ा कदम बड़ाए क़दम बढ़ाए जाखुशी ख़ुशी के गीत गाए जा
निगाह चौमुखी रहे विचार लक्ष्य पर रहे
जिधर से शत्रु आ रहा उसी तरफ़ नज़र रहे
स्वतंत्रता का युद्ध है
स्वतंत्र होके गाए जा
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