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|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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<poem>
कुत्ता बोला,बिल्ली दीदी, मुझको चढ़ा बुखार|
यदि हो सके संभव तो ,कोई दवा करो तैयार||

बिल्ली बोली ,भौंक भौंक कर, तुम होते बीमारा|
बंद रखोगे मुँह तो होगी , बीमारी की हार||

यदि छोड़ दो पीछा करना,तुम निरीह लोगोंका|
कुत्ता भाई निश्चित तुम पर ,कभी न ताप चढ़ेगा||
</poem>
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