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{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= संस्कारपरक गीत / मैथिली लोकगीत
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>मड़बहि बैसलाह बाबा, कि जांघ जोड़ि ऐहब बाबी हे
कोरा भय बैसला बरुआ, कि बाबा जनउ दियऽ हे
रहू बाबू रहू बाबू बरुआ, कि लाल जनउ देब हे
मरबहि घृत ढ़रकि गेल, स्वर्गहि इजोत भेल हे
स्वर्गक पीतर आनन्द भेल, आब कुल बढ़ल हे
समुआं बैसल तोहें बाबा, कि पुत्रसँ पुतोहु हैत हे
करमीक लत्ती जकाँ लतरल, पुरैन जकाँ पसरत हे
आमक गाछ जकाँ मजरत, महु जकाँ लुबुधत हे
</poem>
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|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= संस्कारपरक गीत / मैथिली लोकगीत
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<poem>मड़बहि बैसलाह बाबा, कि जांघ जोड़ि ऐहब बाबी हे
कोरा भय बैसला बरुआ, कि बाबा जनउ दियऽ हे
रहू बाबू रहू बाबू बरुआ, कि लाल जनउ देब हे
मरबहि घृत ढ़रकि गेल, स्वर्गहि इजोत भेल हे
स्वर्गक पीतर आनन्द भेल, आब कुल बढ़ल हे
समुआं बैसल तोहें बाबा, कि पुत्रसँ पुतोहु हैत हे
करमीक लत्ती जकाँ लतरल, पुरैन जकाँ पसरत हे
आमक गाछ जकाँ मजरत, महु जकाँ लुबुधत हे
</poem>