भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>चारि सखि मिलि पनियां के गेलिअइ
ओही रे जमुना के तीरे सखी
जलबा भरिइते रामा गगरी फुटिय गेल
गगरी तऽ भेल सकचूने सखी
सुनू सखि अगिली सुनू सखी पछिली
सुनू सखि बिचली समाद सखी
कहबनि ससुरजी के कहती समझयति
बुझाय मोहे देती बात सखी
एतबा वचन जब सुनली ननदी
भइया आगू चुगली लगाबे सखी
तोहरो के धनि भइया विरह के मातलि
गगरी तऽ भेल सकचूने सखी
जयबा काल गगरी फुटिय गेल
धनी केर कौने अपराध सखी
हरबा जोतैये काल फरबा हे टुटि गेल
बीजुवन टूटल कोदारि सखी
</poem>
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>चारि सखि मिलि पनियां के गेलिअइ
ओही रे जमुना के तीरे सखी
जलबा भरिइते रामा गगरी फुटिय गेल
गगरी तऽ भेल सकचूने सखी
सुनू सखि अगिली सुनू सखी पछिली
सुनू सखि बिचली समाद सखी
कहबनि ससुरजी के कहती समझयति
बुझाय मोहे देती बात सखी
एतबा वचन जब सुनली ननदी
भइया आगू चुगली लगाबे सखी
तोहरो के धनि भइया विरह के मातलि
गगरी तऽ भेल सकचूने सखी
जयबा काल गगरी फुटिय गेल
धनी केर कौने अपराध सखी
हरबा जोतैये काल फरबा हे टुटि गेल
बीजुवन टूटल कोदारि सखी
</poem>