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चैतन्यप्रतिबिम्बेन व्याप्तो बोधो हि जायते।
::बुद्धेः शब्दादिनिर्भासस्तेन मोमुह्यते जगत्॥
चैतन्याभासताहमस्तादर्थ्यं च तदस्य यत्।
::इदमंशप्रहाणे न परः सोऽनुभवो भवेत्॥
</poem>
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