भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बबन विधाता / दीनदयाल शर्मा

1,009 bytes added, 16:05, 22 जुलाई 2014
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }}{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyGandhi}} {{KKCatBaa...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दीनदयाल शर्मा
}}{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyGandhi}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>बबन विधाता लेके छाता,
निकल पड़े बरसात में।
फिसले ऐसे गिरे जोर से,
कैसे चलते रात में।

कीचड़ में भर गए थे कपड़े,
देखे बबन विधाता।
इसी बीच में उड़ गया उनका,
रंग-बिरंगा छाता।

उड़ते-उड़ते छाता उनका,
पहुंच गया नेपाल।
बबन विधाता भीग गए सारे,
हो गए वे बेहाल।

चला हवा का झोंका उल्टा ,
वापस आ गया छाता।
तान के ऊपर चल दिए अपने,
घर को बबन विधाता।।</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits