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लेकिन क्या यह संशय बिल्कुल निरर्थक है मां
कि उदय सिंह तुम्हें मुझसे ज़्यादा प्यारे रहे होंगे?
वरना जिस चित्तौ़ड़गढ़ चित्तौड़गढ़ का अतीत, वर्तमान और भविष्य तय करते
तलवारों की गूंज के बीच तुम्हारी भूमिका सिर्फ इतनी थी
कि एक राजकुमार की ज़रूरतें तुम समय पर पूरी कर दो,
आखिर अपनी ममता को मार कर एक साम्राज्य की रक्षा के तुम्हारे फैसले पर
इतिहास अब भी ताली बजाता है
और तुम्हें देश और साम्राज्य के प्रति वफा़दारी वफादारी की मिसाल की तरह पेश किया जाता है
अगर उस एक लम्हे में तुम कमज़ोर पड़ गई होती
तो क्या उदय सिंह बचते, क्या राणा प्रताप होते
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