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भगवान सभा को छोड़ चले, करके रण गर्जन घोर चले
 
सामने कर्ण सकुचाया सा, आ मिला चकित भरमाया सा
 
हरि बड़े प्रेम से कर धर कर,
 
ले चढ़े उसे अपने रथ पर
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