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मेरी ही बेर क्यूँ देर करो हो, सुनो हनुमान ये अर्ज हमारी।
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फल चार मिले उर फूल खिले, षुभ शुभ संत मिले खिलीहैं फुलवारी।
मांगत दान दे, ये वरदान दे, बीरबली महिमा तव न्यारी।
दे धन धाम व वाम सुता सुत, मीत पुनीत दे हे ब्रह्मचारी।