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Kavita Kosh से
तो तुमने मुझे पट लिटा के रखा
मुझे वहाँ उस ‘जून डब’ <ref>मकान की ऊपरी मंज़िल का बारजाख् जहां से चादनी चाँदनी का नज़ारा किया जा सकता है।</ref>ज़ून, ज्योत्सना</ref> का नज़ारा किया जा सकता है। प्रसिद्ध राजा ‘बादशाह’ ने अपनी ऊँची हवेली को यह नाम दिया था</ref> पर सुला दो ना
मुझे अपनी साँस रूकने का हो रहा है आभास
यह तो जेसे बहती नदी में शिलाएँ अटक गई हैं