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होली / राधेश्याम ‘प्रवासी’

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मिले हृदय से हृदय उड़ रही थी अबीर की झोली!
हुई धर्म की विजय जल गई दुराचार की होती!!
 
किसने आकर मन-मन्दिर में जीवन-ज्योति जगादी है,
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