भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कवितावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 1

3 bytes removed, 08:14, 28 मार्च 2015
श्री अवधेसके द्वारें सकारंे सकारे गई सुत गोद कै भूपति लै निकसे।
अवलोकि हौं सोच बिमोचनको ठगि-सी रही, जे न ठगे धिक-से।।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,131
edits