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<poem>
नव वर्ष मंगलमय रहे, नव हर्ष मंगलमय रहे
नव शक्ति, नव संकल्प का उत्कर्ष मंगलमय रहे |

नव पुष्प, नव पल्लव हरे, नव स्वप्न नयनों में भरे
नव सृष्टि, नव संसृष्टि का आकर्ष मंगलमय रहे |

हर मार्ग में काँटा बिछा, पर धूप-छाया हर दिशा,
जीवन के हर पग पे सदा संघर्ष मंगलमय रहे |

उद्भावना हो नेह की, संभावना हो ज्योति की
जल-दीप-सा तिरकर बुझा अपकर्ष मंगलमय रहे |
</poem>
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