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|रचनाकार=धीरेंद्र कुमार यादव
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<poem>बीच अखाड़े में आकर के
चूहे जी चिल्लाए,
है कोई जो कुश्ती लड़ने
आज सामने आए।

‘मुझसे लड़ लो’
बढ़कर बोली-
बिल्ली मौसी आगे।
भूल पहलवानी चूहे जी,
तुरत वहाँ से भागे!
</poem>
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