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{{KKRachna
|रचनाकार=निरंकार देव सेवक
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>रानी बिटिया चली घुमने
दिल्ली से आगे बढ़,
चलते-चलते, चलते-चलते
पहुँच गई चंडीगढ़।
चंडीगढ़ से जयपुर पहुँची
जयपुर से रामेश्वर,
रामेश्वर से चलते-चलते
लौट चली आई घर।
माँ ने पूछा- ‘रानी बिटिया!
कहाँ गई थी बाहर?’
बिटिया बोली-‘कहीं नहीं माँ
मैं थी घर के अंदर।’
‘घर के अंदर? रानी बिटिया
ऐसा झूठ सरासर?’
‘झूठ नहीं माँ! सच कहती हूँ
भारत है मेरा घर।’
</poem>
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|संग्रह=
}}
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<poem>रानी बिटिया चली घुमने
दिल्ली से आगे बढ़,
चलते-चलते, चलते-चलते
पहुँच गई चंडीगढ़।
चंडीगढ़ से जयपुर पहुँची
जयपुर से रामेश्वर,
रामेश्वर से चलते-चलते
लौट चली आई घर।
माँ ने पूछा- ‘रानी बिटिया!
कहाँ गई थी बाहर?’
बिटिया बोली-‘कहीं नहीं माँ
मैं थी घर के अंदर।’
‘घर के अंदर? रानी बिटिया
ऐसा झूठ सरासर?’
‘झूठ नहीं माँ! सच कहती हूँ
भारत है मेरा घर।’
</poem>