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{{KKRachna
|रचनाकार=बंधुरत्न
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>आई चिड़िया आले आई,
आई चिड़िया बाल आई!
चूँ-चूँ करती चिड़िया आई,
दाब चोंच में दाना लाई।
दाना आया, पानी आया,
माटी ने मिल बीज उगाया।
धरती में जड़ लगी फैलने,
ऊपरफैल गई बिरवाई।
चिड़िया कहती दाना मेरा,
मुन्ना कहता ना-ना मेरा।
बादल कहता सींचा मैंने,
तीनों में छिड़ गई लड़ाई।
पौधा बोला, तुम सब आओ,
मिल-जुलकर मुझको अपनाओ।
सबसे पहले धरती माँ है,
जिसने मेरी जड़ें जमाई!
-साभार: चीं-चीं चिड़िया, सं. कृष्ण शलभ, 14
</poem>
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आई चिड़िया बाल आई!
चूँ-चूँ करती चिड़िया आई,
दाब चोंच में दाना लाई।
दाना आया, पानी आया,
माटी ने मिल बीज उगाया।
धरती में जड़ लगी फैलने,
ऊपरफैल गई बिरवाई।
चिड़िया कहती दाना मेरा,
मुन्ना कहता ना-ना मेरा।
बादल कहता सींचा मैंने,
तीनों में छिड़ गई लड़ाई।
पौधा बोला, तुम सब आओ,
मिल-जुलकर मुझको अपनाओ।
सबसे पहले धरती माँ है,
जिसने मेरी जड़ें जमाई!
-साभार: चीं-चीं चिड़िया, सं. कृष्ण शलभ, 14
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