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{{KKRachna
|रचनाकार=प्रकाश मनु
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>चिड़िया रानी शॉपिंग करने
जाने लगीं बजार,
लिस्ट संभाली, पर्स उठाया
हो करके तैयार।
छोटे से उनके बटुए में
पैसे थे कुल तीन
चीनी, चावल, घी लाना था
औ’ मुन्ने को बीन।
हुईं बहुत हैरान पूछकर
सब चीजों के दाम,
इतनी महँगाई आ पहुँची
बोलीं-हाय राम!
बिना रुपए के यहाँ न कोई
सुनता मेरी बात,
महँगाई को खूब कोस कर
लौटीं खाली हाथ!
</poem>
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|रचनाकार=प्रकाश मनु
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>चिड़िया रानी शॉपिंग करने
जाने लगीं बजार,
लिस्ट संभाली, पर्स उठाया
हो करके तैयार।
छोटे से उनके बटुए में
पैसे थे कुल तीन
चीनी, चावल, घी लाना था
औ’ मुन्ने को बीन।
हुईं बहुत हैरान पूछकर
सब चीजों के दाम,
इतनी महँगाई आ पहुँची
बोलीं-हाय राम!
बिना रुपए के यहाँ न कोई
सुनता मेरी बात,
महँगाई को खूब कोस कर
लौटीं खाली हाथ!
</poem>