भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यश मालवीय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaalKa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=यश मालवीय
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>निंदिया आई दौड़ी-दौड़ी,
हमने खाट बिछाई चौड़ी।
लिए खूब लंबे खर्राटे,
भागे बड़े मियाँ सन्नाटे,
सपने में इक महल बनाया
जोड़-जोड़कर कौड़ी-कौड़ी।
गढ़ी कहानी सच्ची झूठी,
कुंभकरण सी नींद न टूटी,
भले खोपड़ी पर टिक-टिक-टिक
घड़ी चलाती रही हथौड़ी।
सोते रहे पहनकर टाई,
कहाँ-कहाँ हम घूमे भाई,
सपने में ही जीभ जल गई
फिर भी खाई गरम पकौड़ी।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=यश मालवीय
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>निंदिया आई दौड़ी-दौड़ी,
हमने खाट बिछाई चौड़ी।
लिए खूब लंबे खर्राटे,
भागे बड़े मियाँ सन्नाटे,
सपने में इक महल बनाया
जोड़-जोड़कर कौड़ी-कौड़ी।
गढ़ी कहानी सच्ची झूठी,
कुंभकरण सी नींद न टूटी,
भले खोपड़ी पर टिक-टिक-टिक
घड़ी चलाती रही हथौड़ी।
सोते रहे पहनकर टाई,
कहाँ-कहाँ हम घूमे भाई,
सपने में ही जीभ जल गई
फिर भी खाई गरम पकौड़ी।
</poem>