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<poem>पापा जरा बताना मुझको,
क्या करते भगवान जी?

दूध कहाँ से लाते हैं वे,
क्या पाली है भैंस जी?
रोटी कहाँ पकाते हैं वे,
क्या ले ली है गैस जी?
कहाँ सिलैंडर भरवाते हैं
कहाँ उगाते धान जी?

क्या उनके घर में भी बच्चे,
करते रहते शोर जी?
क्या उनकी बातें सुनकर वे,
हो जाते हैं बोर जी?
दफ्तर में जाते हैं वे,
या खोली कहीं दुकान जी?

क्या ऊपर भी धुआँ-धुआँ है,
चलती है बस कार जी,
लाउड स्पीकर शाम सवेरे
बजते हैं बेकार जी?
कहीं किराए पर रहते,
या अपना बना मकान जी?
</poem>
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