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|रचनाकार=भगवतीप्रसाद द्विवेदी
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<poem>घोंघों रानी, कितना पानी?
दादी अम्माँ, कहो कहानी!

काले-भूरे, बौने-बौने
बादल के प्यारे मृगछौने
नभ के माथे पर दिखते हैं
हो जैसे अनगिनत डिठौने।

किसकी है यह कारस्तानी,
घोंघों रानी, कितना पानी?

ओका-बोका तीन तड़ोका
पहलवान ने ताल है ठोंका,
तैर रहे हैं नभ पर मेघा
लेकर संग हवा का झोंका।

टार्च जलाती बिजली रानी,
घोंघों रानी, कितना पानी?

बादल है क्या जल की गागर?
या गागर में सिमटा सागर?
इस सागर में कितनी सीपी?
हर सीपी क्या मोती का घर?

क्यों धरती की चूनर धानी?
घोंघों रानी, कितना पानी?
</poem>
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