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<poem>माँ, चावल के दाने दे दो
चिड़िया आने वाली है,
चीं-चीं करके फुदक-फुदककर
गीत ुसनाने वाली है!

एक नहीं दो-चार नहीं
ये दस-बारह आ जाती हैं,
दाना-पानी सब रक्खा है
फिर भी शोर मचाती हैं।
शायद भूल गईं जो आना,
उन्हें बुलाने वाली हैं!

देखो भैया, इस चिड़िया के
कितने प्यारे बच्चे हैं,
नन्हे-नन्हे पाँव सभी के,
पंख अभी कुछ कच्चे हैं।
कल कैसे उड़ना है,
चिड़िया इन्हें बताने वाली है!

माँ, मेरे भी पंख लगा दे
मैं भी चिड़िया बन जाऊँ,
उड़ते-उड़ते, उड़ते-उड़ते,
आसमान तक हो आऊँ।

तू मत डरना, प्यारी चिड़िया
प्रीत निभाने वाली है!
</poem>
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