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Kavita Kosh से
वही जो सिर फिरा पागल क़तई था<br>
आज एकाएक वह<br>
बहुत ऊँचे गले से,<br>
गा रहा कोई पद, कोई गान<br>
खूब भई,खूब भई,<br>
जानता क्या वह भी कि<br>
क्या उसकी बुद्धि भी जग गयी!<br><br>
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