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{{KKRachna
|रचनाकार=कृष्ण कल्पित
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>फूले फूल!
पत्तों की गोदी में झूल-
फूले फूल!
डुला रही है हवा चँवर
पत्तों में हैं राजकँुवर,
तितली आई सुध बुध भूल
फूले फूल!
लो सुगंध की आई धार,
इसमें है फूलों का प्यार,
उड़ती है क्या रस की धूल
फूले फूल!
मेरे मन में आता मित्र,
मैं उतार लूँ इनके चित्र,
सबके सब शोभा के मूल
फूले फूल!
</poem>
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<poem>फूले फूल!
पत्तों की गोदी में झूल-
फूले फूल!
डुला रही है हवा चँवर
पत्तों में हैं राजकँुवर,
तितली आई सुध बुध भूल
फूले फूल!
लो सुगंध की आई धार,
इसमें है फूलों का प्यार,
उड़ती है क्या रस की धूल
फूले फूल!
मेरे मन में आता मित्र,
मैं उतार लूँ इनके चित्र,
सबके सब शोभा के मूल
फूले फूल!
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