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Kavita Kosh से
::लटुरी पतौह को
रात भर जूझते हैं देह के अंधेरे में
बदल लेते हैं ।
अगर वह अपनी छाती पर एक कील
उस भूखे लड़के की देह पर एक तख़्ती लटका
::::::::दूँ ।
"यह 'संसद' है--
:::यहाँ शोर करना सख्त मना है ।"