भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धूप जी, धूप जी / गगन गिल

1,120 bytes added, 17:47, 15 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गगन गिल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गगन गिल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>धूप जी धूप जी
छांव यहां कहीं नहीं
धूप जी धूप जी
देखो हमारी चमड़ी
धूप जी धूप जी
घाव यहां हर कहीं
धूप जी धूप जी
छिपने को घर नहीं
धूप जी धूप जी
अंधी चमक आंख में
धूप जी धूप जी
कांटे चुभे नजर में
धूप जी धूप जी
रस्ता अपना गुम गया
धूप जी धूप जी
चारों तरफ प्यास जी
धूप जी धूप जी
ठंडा अपना सांस जी
धूप जी धूप जी
सिर पे उड़ें गिद्ध जी
धूप जी धूप जी
कहां हमारी छप्परी
धूप जी धूप जी
चारों तरफ रेत जी!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits