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सुंदरियो / नीलेश रघुवंशी

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<poem>मत आया करो तुम सम्मान समारोहों में
तश्तरी, शाल और श्रीफल लेकर
दीप प्रज्वलन के समय
खड़ी मत रहा करो माचिस और दीया-बाती के संग
मंच पर खड़े होकर मत बांचा करो अभिनंदन पत्र
उपस्थिति को अपनी सिर्फ मोहक और दर्शनीय मत बनने
दिया करो
सुंदरियो,
तुम ऐसा करके तो देखो
बदल जाएगी ये दुनिया सारी!
</poem>
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